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Republic day history || 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है? || Best no.1 day for india

Introduction

republic day history
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republic day history आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं भारत अपना गणतंत्र दिवस मना रहा है 26 जनवरी 2024 को लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि आखिर हमारा गणतंत्र दिवस 26th जनवरी को ही क्यों आता है देश आजाद हुआ था 15 अगस्त को संविधान लागू हुआ था छब्बीस नवंबर को लेकिन गणतंत्र दिवस की तारीख 26 जन्वरी क्यों है

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  • आज हम जानेंगे कि आखिर इसके पीछे का इतिहास क्या है कौन सी वह घटना थी हमारे आजादी के आंदोलन में जिसने इस डेट को हमारे इतिहास में एक इंपोर्टेंट पड़ाव बना दिया[ republic day history]
  • भारत को पंद्रह अगस्त उन्नीस सौ सैंतालीस के दिन आजादी तो मिल गई लेकिन भारत में उसके बाद भी कुछ समय तक हेड आफ स्टेट गवर्नर-जनरल हुआ करता था अब गवर्नर जनरल का पद ब्रिटिश कालीन था एक साल के लिए उस पद पर माउंटबेटन ही था और उसके बाद में सी राजगोपालाचारी जी बने थे
  • भारत के गवर्नर-जनरल तो ऐसा नहीं है कि भारत में ब्रिटिश शासन चल रहा था ब्रिटिश पार्लियामेंट भारत के लिए कोई कानून नहीं बना सकती थी लेकिन अगले ढाई सालों तक भारत का हेड आफ स्टेट ब्रिटिश मोनार्क ही था
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  • अब यहां पर इस बात को समझ गए कि ब्रिटिश मोनार्क के पास कोई असीम शक्तियां नहीं है भारत के लिए ही राज नॉमिनल प्रोस्टेट जैसे आज के समय भारत में राष्ट्रपति है उनके पास भी कोई ट्रू पावर नहीं है वैसे आप पढेंगे तो आपको पता चलेगा कि राष्ट्रपति के पास कितनी सारी शक्तियां हैं लेकिन इन पॉलीटिकल एग्जीक्यूटिव के पॉइंट यह बात करें तो भारत के अंदर ज्यादा शक्तियां प्राइम मिनिस्टर ऑफिस के पास हैं
  • यह बात आप सभी जानते होंगे समझते होंगे तो भारत की आजादी के ढाई साल तक प्रदेश में हेड आफ स्टेट फॉर द ब्रिटिश मोनार्क लेकिन छब्बीस जनवरी के दिन यह सब कुछ बदल जाता है 1950 में हमारा संविधान लागू किया जाता है [republic day history]
  • जो संविधान के बिल्कुल शुरुआत में है तो उसमें भी संविधान को ऑडिट करने की डेट छब्बीस नवंबर 1969 बताई गई है तो इस दिन संविधान लागू क्यों नहीं हुआ इस दिन लाखो इसलिए नहीं किया गया क्योंकि 2 महीने बाद आ रही थी
  • 26जनवरी की और 26जनवरी भारत के आजादी के आंदोलन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण तारीखें कैसे 1927 में ब्रिटिश सरकार ने भारत में साइमन कमीशन भेजा इसका ऑफिशल आफ इंडियन स्टेट्यूटरी कमीशन और इसके अध्यक्ष थे जॉन साइमन उन्हीं के नाम के पीछे इसको साइमन कमीशन कहा जाता है
  • कमीशन का मकसद यह था कि भारत में संवैधानिक बदलाव किस तरह से किए जाएंगे इसके बारे में एक फ्रेम वर्क बनाया जाए
  • इसके बारे में आगे का रोडमैप तैयार किया जाए साइमन कमीशन कोई देखना था कि 1919 में हुए मोंटेग्यू चेम्सफोर्ड रिफॉर्म्स किस तरह से काम कर रहे हैं और भविष्य में उन्हें क्या बदलाव लाने की आवश्यकता होगी साइमन कमीशन में कोई भारतीय सदस्य नहीं था तो भारत के लोग इससे काफी नाराज से इंडियंस के खिलाफ हर जगह पर टेस्ट किया [republic day history]
  • साइमन कोवेल का नारा दिया गया में साइमन कमीशन के विरोध को देखते हुए इंग्लैंड में भारतीय मामलों के मंत्री विलियम हेग ने यह चैलेंज सामने रखा नेशनल कांग्रेस की फरवरी 1928 में इन्होंने अपनी मुलाकात खरीद और मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया
  • इस कमेटी को यह टॉस दिया गया कि आप फ्रेमवर्क तैयार करें और कि भारत में आगे कॉन्स्टिट्यूशन चेंजेस किस प्रकार से देंगे इस कमेटी ने जो रिपोर्ट बनाई उसका नाम है नेहरू रिपोर्ट तो यह कौन से नए हुए मोती लाल नेहरू वह इस द फादर ऑफ और फर्स्ट प्राइम मिनिस्टर जवाहरलाल नेहरू यह भी कांग्रेस के सीनियर नेता अब मोती लाल नेहरू और उनकी रिपोर्ट में ब्रिटिश सरकार के समक्ष डिमांड रखी गई[republic day history]
  • डोमिनियन स्टेटस की तो डोमिनियन स्टेटस जैसा उस वक्त ऑस्ट्रेलिया कनाडा को दे दिया गया था वैसा ही डोमिनियन स्टेटस भारत को भी लिया जाए डोमिनियन एक ऐसा स्टेटस होगा जहां पर भारत के पास कुछ मामलों में श्वेता होगी लेकिन कुछ मामलों में श्वेता नहीं भी होगी और ब्रिटिश एंपायर से जुड़े रहेंगे ओवरऑल है
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  • डोंट ब्रिटिश मोनार्की रहेगा इंटरनल गवर्नमेंट सारी हमारे लोगों के हाथ में आ जाती लेकिन जैसे फॉरेन रिलेशंस या फिर आर्मी जैसे इंपोर्टेंट डिविजंस है वह ब्रिटिश गवर्मेंट के द्वारा ही लिए जाते थे या यह जाएंगे ऐसा डोमिनियन स्टेटस में होता
  • अब डोमिनियन स्टेटस की डिमांड कांग्रेस के बड़े नेताओं ने मोतीलाल नेहरू जैसे नेताओं ने तो रख दी लेकिन कांग्रेस के जवान ने था उस समय की जवां नेता जैसे कि जवाहरलाल नेहरू और सुभाषचंद्र बोस इससे बिल्कुल भी खुश नहीं थे उन्होंने कहा कि हमें डोमिनेंट चाहिए ही नहीं हमें तो पूर्ण स्वराज चाहिए
  • कंपलीट इंडिपेंडेंस चाहिए छबीस जनवरी को पूर्ण स्वराज के रूप में मना रहे हैं ठीक है आजादी 15 अगस्त को मिल गई लेकिन कम से कम है संविधान को तो छबीस जनवरी के दिन रुका करते हैं तो यह तय किया जाता है कि
  • छब्बीस जनवरी को ही पूरा संविधान लागू होगा लेकिन एक बात रखिएगा कि संविधान के कुछ प्रावधान कुछ आर्टिकल्स 26नवंबर ही लाखों गए थे खास करके जो सिटीजनशिप इलेक्शंस प्रोफेशनल पार्लियामेंट और ट्रांसलेशनल पॉवर से संबंधित थे
  • वह सभी युद्ध उस दिन लागू हो गए थे और पूरा संविधान 26जनवरी 1950 को लागू होता है [republic day history]
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26 जनवरी को गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है?(Why is Republic Day celebrated on January 26th?)

  • गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को उस दिन के सम्मान में मनाया जाता है जब 1950 में भारत का संविधान लागू हुआ था।
  • यह तारीख इसलिए चुनी गई क्योंकि यह 26 जनवरी, 1930 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा भारत की स्वतंत्रता की ऐतिहासिक घोषणा के साथ मेल खाती है।
  • यह दिन स्वतंत्रता के लिए लंबे संघर्ष की परिणति और लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में भारत की स्थापना का प्रतीक है।
  • ब्रिटिश शासन से स्वशासन में परिवर्तन को चिह्नित करते हुए संविधान ने भारत सरकार अधिनियम (1935) का स्थान ले लिया।
  • इस दिन संविधान को अपनाने से लोकतांत्रिक शासन और कानून के शासन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता मजबूत हुई। 26 जनवरी गौरव और देशभक्ति का दिन है,[republic day history]

गणतंत्र दिवस परेड का क्या महत्व है?(What is the significance of the Republic Day parade?)

  • गणतंत्र दिवस पर परेड का बहुत महत्व है क्योंकि यह भारत की सैन्य ताकत, सांस्कृतिक विविधता और राष्ट्रीय उपलब्धियों का प्रदर्शन है।
  • नई दिल्ली में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाली परेड एक दृश्य है जो रंगीन और जीवंत प्रदर्शनों के माध्यम से देश में एकता को उजागर करती है।
  • परेड के सांस्कृतिक खंड में विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की समृद्ध विरासत का प्रतिनिधित्व करने वाले जीवंत प्रदर्शन शामिल हैं
  • परेड सशस्त्र बलों के कर्मियों की बहादुरी और बलिदान को सम्मानित करने और पहचानने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करती है,
  • जिन्हें कार्यक्रम के दौरान पुरस्कार और प्रशंसा प्राप्त होती है
  • गणतंत्र दिवस परेड भारत की लोकतांत्रिक भावना धर्मनिरपेक्षता के प्रति प्रतिबद्धता और प्रगति और समृद्धि के प्रति लोगों की सामूहिक आकांक्षाओं का प्रतीक है।[republic day history]

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